भाई साहब! जब से थर्मल पावर प्लांट गांव में लगा है रिश्तेदारों ने आना छोड़ दिया है। दो साल से गांव का कोई भी युवक घोड़ी नहीं चढ़ा है और ना ही किसी युवती की डोली गांव से उठी है।
थर्मल पावर प्लांट से निकलने वाली काली राख ने हमारे वर्तमान पर कालिख पोत दी, भविष्य को भी स्याह अंधेरे में धकेल दिया।
ग्रामीणों का कहना है कि हम बीमार हो रहे हैं। गांव में यदि कोई व्यक्ति किसी युवक या युवती का रिश्ता करने आ भी जाता है तो घर में बिखरी राख को देखकर लोग घर जाकर सलाह करने की बात कह चुपके से निकल जाते हैं।
पीएम मोदी तीसरी यूनिट का करेंगे शिलान्यास
ग्रामीणों का बस यही कहना है कि हम थर्मल पावर प्लांट के विस्तार के खिलाफ नहीं है, यह होना चाहिए, लेकिन गांव को शिफ्ट कर हमें भी बचाना चाहिए। सहारनपुर रोड पर ग्राम पंचायत कायमपुरा के गांव रतनपुरा में दीनबंधु थर्मल पावर प्लांट की आधारशिला तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने मार्च 1993 में फरीदाबाद से रिमोट से रखी थी।
वर्ष 2005 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार के दौरान इसका निर्माण शुरू हुआ और 2008 में इसको विकसित किया गया था। इससे पहले वर्ष-2004 में भी तत्कालीन मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला ने थर्मल पावर प्लांट का शिलान्यास किया था। इसके निर्माण के लिए हजारों एकड जमीन का अधिग्रहण किया गया था।
अभी तक 300-300 मेगावाट की दो यूनिटें बिजली का उत्पादन कर रही हैं। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 14 अप्रैल को 800 मेगावाट की तीसरी यूनिट का शिलान्यास करने आ रहे हैं।
हर दूसरा व्यक्ति बीमार
आज हालात ये हैं कि रतनपुरा में हर दूसरा व्यक्ति किसी न किसी बीमारी से ग्रस्त है। महिलाएं दिन घरों की सफाई करने ही लगी रहती हैं। खुले में कपड़े भी नहीं सूखा सकते हैं। ग्रामीण अपने घर के खुले आंगन में नहीं बैठ सकते हैं।
इसके साथ ही बच्चों व बुजुर्गों को स्वास्थ्य संबंधी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ग्रामीणों का कहना है कि उनके यहां पर पिछले तीन सालों से मेहमानों ने भी आना बंद कर दिया है। वहीं जब भी अपनी बेटियों के लिए रिश्ता लेकर जाते हैं तो वहां से साफ मना कर दिया है।
कायमपुरा पंचायत में दो गांव
इस पंचायत में कायमपुरा व रतनपुर दो गांव है। इनमें 350 घर हैं। जिनकी आबादी 2300 है। कामयपुर में पंचायत के दो वार्ड हैं। वहीं रतनपुरा में छह वार्ड हैं। यहां पर क्षत्रिय समाज व अनुसूचित समाज के लोग ज्यादा रहते हैं। सरपंच राजकुमार का कहना है कि गांव में राख के कारण मेहमान नहीं आते हैं। इसके अलावा रिश्ते भी नहीं हो रहे हैं।
जानिए ग्रामीणों की पीड़ा
थर्मल से उड़कर आने वाली राख इंसानों के शरीर में प्रवेश करती है। आसपास के खेतों में जाकर राख फसलों को खराब कर रही है। ग्रामीण लगातार बीमार रहते हैं। समस्या को लेकर कई बैठकें भी हो चुकी है। जब तक गांव शिफ्ट नहीं होता तब तक इस परेशानी से छुटकारा मिलने वाला नहीं।
जितेंद्र राणा, पूर्व सरपंच, गांव रतनपुरा।
गांव में करीब 30 से 40 युवक शादी के लायक हो चुके हैं। मगर जब भी कोई रिश्ता लेकर आता है तो वह राख को घर में देखकर वापस लौट जाता है। मेहमानों ने भी अब गांव में आना छोड़ दिया है। कहते हैं कि आपके यहां पर आकर बीमार हो जाएंगे।
सतीश राणा, ग्रामीण गांव रतनपुरा।
थर्मल से आने वाली राख के कारण परेशान रहते हैं। बुजुर्गों को सबसे ज्यादा दिक्कत होती है। बीमारी भी लगातार फैलती जा रही है। किसी की आंख में दिक्कत आ रही है तो किसी को सांस संबंधी बीमारी हो रही है। इसके अलावा युवक व युवतियों के रिश्ते भी कोई करने को तैयार नहीं है।
गोपाल सिंह पूर्व सरपंच, ग्राम पंचायत कायमपुरा
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