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वक्फ संशोधन विधेयक लोकसभा से पास, पक्ष में 288 तो विरोध में पड़े 232 वोट; अब राज्यसभा में सरकार की अग्निपरीक्षा



वक्फ संशोधन विधेयक 2025 लोकसभा से पास हो गया है। 12 घंटे की लंबी चर्चा के बाद हुई वोटिंग में वक्फ संशोधन विधेयक 2025 के समर्थन में 288 वोट पड़े तो इसके मुकाबले विरोध 232 में वोट पड़े।

कुल 540 सांसदों ने मतदान प्रकिया में भाग लिया। अब गुरुवार को इस बिल को राज्यसभा में पेश किया जाएगा और इस पर चर्चा होगी।

बुधवार को लोकसभा में केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू वक्फ संशोधन विधेयक 2025 को पेश किया। जिसके बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष के कई नेताओं ने इस पर लंबी चर्चा की। एनडीए के सासंदों ने वक्फ संशोधन विधेयक के समर्थन में अपनी बात रखी तो वहीं विपक्ष की ओर बिल के विरोध में बातें रखीं गईं।


वक्फ संशोधन विधेयक के पक्ष में क्या बोले अमित शाह

वक्फ संशोधन विधेयक 2025 के संमर्थन में बोलते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि वक्फ एक अरबी शब्द है। वक्फ का इतिहास कुछ हदीसों से जुड़ा हुआ मिलता है और आज कल जिस अर्थ में वक्फ का प्रयोग किया जाता है, इसका अर्थ है अल्लाह के नाम पर संपत्ति का दान, पवित्र धार्मिक उद्देश्यों के लिए संपत्ति का दान।

वक्फ का समकालीन अर्थ, इस्लाम के दूसरे खलीफा उमर के समय अस्तित्व में आया। एक प्रकार से आज की भाषा में व्याख्या करें तो वक्फ एक प्रकार का चैरिटेबल अलॉटमेंट है। जहां एक व्यक्ति संपत्ति, भूमि धार्मिक और सामाजिक भलाई के लिए दान करता है, बिना उसको वापिस लेने के उद्देश्य से। इसमें जो दान देता है उसका बहुत महत्व है। दान उस चीज का ही किया जा सकता है जो हमारा है, सरकारी संपत्ति का दान मैं नहीं कर सकता, किसी और की संपत्ति का दान मैं नहीं कर सकता। दान उस चीज का किया जाता है जो हमारी है, इसी विषय पर यह सारी बहस चल रही है।

वक्फ में कोई गैर मुस्लिम व्यक्ति आएगा ही नहीं- अमित शाह

अमित शाह ने कहा कि भारत का जहां तक सवाल है दिल्ली में सल्तनत काल के प्रारंभ में पहली बार वक्फ अस्तित्व में आया। अंग्रेजों के जमाने में 1863 के धार्मिक दान अधिनियम से चलता था, बाद में चैरिटेबल प्रॉपर्टी एक्ट 1890 से चला उसके बाद 1913 में मुसलमान वक्फ वैलिडिटी एक्ट अस्तित्व में आया। तब तक यह सारी प्रक्रियाएं चैरिटेबल एक्ट के तहत चलती थी। आजादी के बाद इस एक्ट को 1954 में वक्फ के केंद्रीकरण के लिए बदल गया। 1995 में वक्फ न्याय अधिकरण और वक्फ बोर्ड की स्थापना हुई। वक्फ परिषद और वक्फ बोर्ड 1995 से आए। यह पूरा झगड़ा जो चल रहा है कि आपने नॉन मुस्लिम को रख दिया, गैर मुस्लिम को रखा। यह झगड़ा वक्फ में दखल करने का है। पहले तो वक्फ में कोई भी गैर इस्लामिक सदस्य आएगा ही नहीं, यह स्पष्ट समझ लीजिए, न मुतवल्ली गैर इस्लामिक होगा ना वाकिफ गैर इस्लामिक होगा, वहां कोई ऐसा प्रावधान नहीं है। जो धार्मिक संस्थाओं का संचालन करते हैं उसमें कोई गैर मुस्लिम व्यक्ति रखने का प्रावधान किया भी नहीं है और हम करना भी नहीं चाहते हैं।

जेडीयू ने किया वक्फ संशोधन विधेयक का समर्थन

वक्फ संशोधन विधेयक 2025 के समर्थन में बोलते हुए जेडीयू नेता और केंद्रीय पंचायती राज मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह सेक्युलरिज्म को लेकर कांग्रेस को जमकर घेरा। ललन सिंह ने कहा कि 2013 में आपने (कांग्रेस) ने जो पाप किया था आज पीएम मोदी ने समाप्त करने का काम किया है। पारदर्शिता लाने का काम किया है। इससे आपको क्या दिक्कत हो रही है?

सदन में वक्फ बिल चर्चा के दौरान क्या बोले अखिलेश यादव?

बुधवार को लोकसभा में सपा सुप्रीम अखिलेश यादव वक्फ बिल पर चर्चा के दौरान सरकार को घेरने में ही लगे रहे। वो बिल की चर्चा छोड़कर चीन की कब्जा की गई जमीन, रेलवे की जमीन, महाकुंभ, बेरोजगारी, नोटबंदी, किसानों की आय सहित कई उन मुद्दों पर बोलने लगे थे जिसका वक्फ बिल से कोई मतलब भी नहीं था। अखिलेश यादव ने कहा था कि सरकार ने आधी रात को बिना बताए नोटबंदी लागू कर दी थी वो भी नाकाम रही। उन्होंने कहा था कि चीन के कब्जे वाली जमीन ज्यादा बड़ा मुद्दा है। चीन ने जिस जमीन पर गांव बसाए वो बड़ा मुद्दा है। अखिलेश ने आगे कहा कि सरकार रेलवे की जमीनों को बेच रही है। रेलवे हो या डिफेंस सारी जमीनें भारत की हैं जा रहा है। रेलवे हो या डिफेंस सारी जमीनें भारत की हैं। बीजेपी जब भी कोई नया बिल लाती है, तब अपनी नाकामी छिपाती है। महाकुंभ में कितने हिंदू मारे गए? इस बात पर पर्दा डालने के लिए बीजेपी यह बिल लेकर आई है।

खाता न बही जो वक्फ कहे वही सही- अनुराग ठाकुर

वक्फ संशोधन विधेयक 2025 के समर्थन में बोलते हुए भारतीय जनता पार्टी के सांसद अनुराग ठाकुर ने कहा कि वक्फ को बदलने का वक्त आ गया है क्योंकि यह अत्याचार और भ्रष्टाचार का एक ऐसा अड्डा बन चुका है उसको खत्म करने और बदलने का समय आया है। भारत को वक्फ के खौफ से आजादी चाहिए क्योंकि यहां पर यह जो कांग्रेस के जमाने में बना हुआ कानून है और उसका मतलब तो यही था खाता ना वही जो वक्फ कहे वही सही। इसका मतलब जहां पर कह दिया कि यह वक्फ की जमीन है, वह फिर वक्फ की जमीन हो गई और इसमें भी वह जिम्मेदारी उनकी नहीं है कि जमीन उनकी कैसे है, लेकिन जिसकी चली गई वह बेचारा दर-दर भटकता है और उनको इंसाफ भी नहीं मिलता है।

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